ना जाने क्यूं इस दिल मे बुझ चुकी प्यार की लौ को जगा जाती है,वैसे तो सब खत्म हो चुका है उसके और मेरे दरमियाँ,पर ना जाने क्यूं वो कुछ पल के लिए फोन पर कुछ गुनगुना कर बीत चुकीं बाते याद दिलाकर ईन मुर्झा चुकीं ईन पलकों को फिर भिगा जाती है।जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया था हमने,उनकी हर इक निशानियों को तोड़ दिया था हमने,किया था वादा खुद से के अब ना लौटूंगा उसकी जिंदगी मे,पर कमबख्त कल रात फिर उनका कॉल आया और उनकी मस्त निगाहों को देखकर फिर उनकी ओर रुख मोड़ लिया हमनेअब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं।वो कहते है के हम उनसे मोहब्बत का इजहार करते नहीं हैउन्हें हम आशिकों की तरह प्यार करते नहीं है,के नींद चुराने वाले ही हमसे पूछते हैं के आप रातों को सोते क्यों नही है,इतनी ही फिक्र है हमारी तो फिर जिंदगी भर के लिए आप हमारे होते क्यों नही।ना जाने क्यूँ वो साथ बिताया वो हर पल याद आता है,वो तुम्हारे साथ बिताया हुआ पल याद आता है,तुमने तो बदल लिए तुम्हारे जीने का तरीका,पर ना जाने क्यू मुझे आज भी तेरी मोहब्बत का वो दर्द याद आता है,किसीसे तो हमने भी खुद को बदलने की पर ना जाने क्यू तेरा वो प्यार मुझे वापिस तेरी ही यादों मे खिंच लाता है।किशन निषाद
जिद में आकर उनसे ताल्लुक तोड़ लिया था हमने, उनकी हर इक निशानियों को तोड़ दिया था हमने, किया था वादा खुद से के अब ना लौटूंगा उसकी जिंदगी मे, पर कमबख्त कल रात फिर उनका कॉल आया और उनकी मस्त निगाहों को देखकर फिर उनकी ओर रुख मोड़ लिया हमने अब सुकून उनको नहीं और बेकरार हम भी हैं। वो कहते है के हम उनसे मोहब्बत का इजहार करते नहीं है उन्हें हम आशिकों की तरह प्यार करते नहीं है, के नींद चुराने वाले ही हमसे पूछते हैं के आप रातों को सोते क्यों नही है, इतनी ही फिक्र है हमारी तो फिर जिंदगी भर के लिए आप हमारे होते क्यों नही। A memory of my past किशन निषाद
Nice buddy
ReplyDeleteV good
ReplyDeleteNice
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