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Showing posts from July, 2020

शायर ए अल्फाज़......

के जब पुछा उनसे क्या वो प्यार का एहसास तुम्हारे दिल मे अभी जिन्दा है उस पत्थर दिल ने कहा  ये भला एहसास का समुन्दर होता क्या है जिसको है सारे रंजो गम वो खोता क्या है करलो इस जहान मे किसी से कितनी मोहब्बत आखिर मे आशिकों को मिलता ही क्या है कह्ते है लोग रोज लेकर आती है सुबह इक नयी उम्मीद फिर तू दामन को आंसुओं से धोता क्या ‌है कोई फर्क ‌नही जहां में सब तो अपने ‌ही है इतनी जरा सी बात पर ऊँच नीच वालीं बात पर हैरान होता क्या है सबको नही मिलती हर खुशी इस जहां में बस इसी हालात पर हर वक्त रोता क्या है  रन्ज-ओ-गम की दुनिया है खुशियाँ तलाशते रहो, कल हो न हो तेरे लिये खुद के लिये समय निकालते रहो।। ना जाने कब जिंदगी खत्म हो जाए हंसते मुस्कराते ये जिन्दगी के पल काटते रहो के तुम्हें रोकने वाले लोग तो रोकते ही रहेंगे साजिशों से खुश रहो और सबको ख़ुशियाँ बाटते रहो     kishan nishad