रूठे हो हमसे ये बात हमे पता है हम जानते है के हमारी जान किस बात पे हमसे खफा है,के आजाओ हमारी बाहों मे ईन ज़ख्मों को मिलके सिलते है चलो छोड़ो ना गुस्सा उन बारिश वाली भीगी राहों मे दोबारा मिलते है,के पहले के जैसे तुझे मे प्यारा हो जाऊँ मे आशिक हू तेरा के मान जाओ के मे फिर से तुम्हारा हो जाऊँ,आओ फिर उसी चौराहे किसी बहाने से के मे गुलाब और तुम खुशबु बनके खिलते है,के चलो छोड़ो ना गुस्सा उन राहों मे दोबारा मिलते है।चांद की चांदनी मे छत के नीचे बैठ के दो बोल हम गुनगुनाएके ईन हाथों मे हो तेरा हाथ के तेरा मेरा प्यार देखकर चांद भी शर्मा जाएतेरी रूह पर बन बारिश का पानी के ईन निगाहों से तुझपे बरस जाऊँ के मिल जाए तेरी रूह को सुकून एसा कुछ कर जाऊँहो अगर आखिरी सांसे मेरी तो बैठ जाना मेरे पास के जब जाऊँ इस दुनिया से तेरा चेहरा मेरे सामने आ जाएके वो दिन गए और वो रात गई के तुम्हारी वो प्यार वाली बात गई ना जाने क्यु तुम जबसे हमसे रूठ कर गई हमारे होंठो से वो मुस्कुराहट गईकैसे भूलूं उन बातों को उन प्यार वालि रातों को वो तेरा रूठना मेरा मानना उन भीगी भीगी रातों को आँखों से आंसूं बनके रात भर हमरा ना सो पानाके वो कसमें वो वादे झूठे सपने दिखा के गई जितनी खुशियों के सपने दिखाए थे उन सपनों के लिए तड़पा के गई के सब मंजुर ठीक मगर तुम तो भूल मेरे ज़ज्बात गईवो मोहब्बत गई वो सौगात गई वो कल साथ बिताई याद गई के तू हस्ती रेह जा ख़ुश रेह इस दिल से ये दुआ गईकिशन निषाद..... 😊😊😊😊
Pleaseccheck another thaught if like these..!
Gud on
ReplyDeleteNice bro keep on
ReplyDeleteNice lines
ReplyDeleteNicely
ReplyDeleteGreat one you wrote there.
ReplyDeleteAnger isn't needed!
Thanx for your suggestions
DeleteNice blog bro
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteWow kya likha hai... Great Man
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