के छोड़ गए तुम हमें हमारी आँखों मे आंसू और दिल मे दर्द देकर आखिरी बार वो हमसे जुदा हुए थे मजबूरी कहकरआज लौटे उनकी गलियों मे तो वो चल दिये आगे हमे अनदेखा कर केके उन मस्त हवाओं और घटाओं से पता चला के वो खुश है किसी और की बाहों मे जाकरहमनें पूछा उनसे के क्या तुम खुश हो उस गैर की पनाह मे जाकरक्या मिला तुम्हें भरोसा तोड़ के गैर के प्यार को मजबूरी बता कर अगर केह दिया होता तुमने घुटन है तुम्हें हमारी मोहब्बत की पाबंदी मे आकर कर देते तुम्हें आजाद तुम्हारी खुशी के खातिर यूँ झूठ बोलकर तुमने गिरा लिया खुदको झूठ को मजबूरी बता करहम तो जी रहे थे तुम्हारी यादों को अपने गले से लगाकर मांगा करते थे दुआ तुम्हारी खुशी के लिए मंदिर - मस्जिद मे जाकर हम रोया करते थे हर इक रात को अपने आंसू बहाकरके रोया तो बहुत था उस पल तुमसे दूर होकरमेरे दिलों दरिया की चाहत थी तुम मेरी रूहें मोहब्बत की आयत थी तुम मेरे जीने के लिए एक ज़ज्बा थी तुम मेरे नूर का सजदा थी तुमउनका सवाल था के हम क्यु नही बदले क्यू किसी और की चाहत से ना पिघलेअरे हर किसी से मोहब्बत करना हमारी फितरत मे नही है अगर जो लगा ले दिल तो वो हमे आसानी से भुला ले ये उसकी किस्मत मे नही है,कोशिसे तो बहुत की थी कईयों ने हमसे दिल लगाने कीपर कमबख्त वो इस दिल के दरवाजे से सिवाए हमारे आंसुओ के और कुछ ना लेकर लौटेक़ुसूर उनका नहीं ये तो दुनिया की चमक का कमाल था और आज वो हमारी ब्लॉक लिस्ट मे क्यू है ये उनका हमसे आखिरी सवाल था
किशन निषाद
Bahut khoob
ReplyDeleteNice......
ReplyDeleteKiya likhto ho guru
ReplyDeleteVery nice one
ReplyDeleteVery nice
ReplyDelete